निजात्मबुद्धिदायकं भजेऽहमञ्जनीसुतम्॥ तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥६॥ बिद्यावान गुनी अति चातुर । सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। विकट रुप धरि लंक जरावा॥ बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ Getting a cleanse and https://arcade-directory.com/listings764086/hanuman-mantra-an-overview